एडवेंचर के लिए जाएं मार्बल सिटी किशनगढ़


जयपुर-अजमेर हाइवे पर जयपुर से 101 किमी दूर स्थित किशनगढ़ वीकएंड पर परिवार के साथ घूमने के लिए बेहतरीन डेस्टिनेशन हा़े सकता है। लगभग डेढ़ लाख की आबादी वाला ये कस्बा नसीराबाद छावनी, ब्यावर, मकराना अाैर अजमेर के बीच का केन्द्र बिंदु है। किशनगढ़ शैली की चित्रकला ने यहीं से जन्म लिया था। इस चित्रण शैली में ‘बणी- ठणी’ एक दरबारी नारी का सुंदर चित्रण है। आज यह राजस्थान की मार्बल नगरी के नाम से विख्यात है और मार्बल का एक बड़ा व्यापारिक केन्द्र बन गया है।

मंदिर, फाेर्ट and गार्डन का लुत्फ उठाएं

किशनगढ़ के इर्दगिर्द अनेक जैन मंदिर हैं। किशनगढ़ फोर्ट देखने के लिए भैरवघाट बालाजी तक जाना पड़ता है। मोखम विलास और फूल महल पैलेस, ये दो किशनगढ़ राजा के महल हैं। इसके अलावा सुखसागर, नवगृह मंदिर, शीतलामाता मंदिर, बावन भैरव मंदिर, काली माता मंदिर, चौबुर्जा बालाजी, गुण्डोला सागर, शिवजी का मंदिर, सुभाष उद्यान, दुर्गा नर्सरी, बालाजी की बगीची, श्री 1008 मुनि सुब्रत्नाथ, देवनारायण मंदिर, अमरनाथ मंदिर, भगवान आदिनाथ, पंदुक्षिला, कतला बाजार, व्यापारी मोहल्ला, रघुनाथ मंदिर, भण्डारी जी की हवेली, श्री सुखनिधि जी महाराज मंदिर, दरगाह हजरत सुल्तान पीर साहब, आदि देखने लायक स्थान हैं।

मनाेहारी दृश्यावली

लगभग एक वर्गमील क्षेत्र में फैले गुंडलाव झील के तट पर स्थित इस नगर तथा क़िले का दृश्य देखने से अत्यन्त मनोहारी लगता है। नगर के पास ही ‘मदनगंज’ उपनगर विकसित हुआ है।

1611 में स्थापित हुआ किशनगढ़ 

किशनगढ़ की स्थापना सन् 1611 ई. में जोधपुर नरेश उदयसिंह के पुत्र किशनसिंह ने की थी। बड़े भाई से अनबन हो जाने के कारण किशनसिंह अजमेर आ गए और अपनी सेवाओं से मुगल बादशााह जहांगीर को प्रसन्न किया। जहांगीर ने इन्हें महाराजा की उपाधि और कुछ जागीरें प्रदान की। उसी जागीर पर किशनगढ़ की स्थापना हुई।

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