शहर में लगी हैं 5 ऐतिहासिक घडिय़ां
जयपुर। एक दौर था जब घडिय़ां आमजन की पहुंच से बहुत दूर थी, जनता अनुमान लगाकर समय का पता करती थी। ऐसे में जनता की सहूलियत के लिए गुलाबी नगरी में पांच स्थानों पर टावर बनवाकर घडिय़ां लगाई गई थी, इसमें से 4 रियासत काल में लगाई गई। जबकि एक 19वीं शताब्दी के आखिरी में लगाई गई। वक्त के साथ घडिय़ां आम आदमी की पहुंच में आ जाने के बाद ये हेरिटेज घटियां उपेक्षित हो गई। फिर भी क्लाक टावर सुंदरता और वास्तु डिजाइन से लोगों को लुभाती हैं, लेकिन स्मार्ट सिटी का सपना संजोने वालों ने इन ऐतिहासिक धरोहरों का 'समय' ही बिगाड़ दिया। अब इनमें से एकाध घड़ी ही लोगों को वक्त का मूल्य बता रही है। शेष घडिय़ों पर समय के साथ लापरवाही की जंग लग चुकी है।
सिटी पैलेस : वर्ष 1873 में बनी
पूर्व शाही घराने के सिटी पैलेस स्थित क्लाक टावर अतीत के खट्टे-मीठे यादों को समेटे हुए आज भी अडिग है, लेकिन दूर से ही नजर आने वाली घड़ी अब शिथिल होने लगी है। वक्त के झंझावातों से लड़ते हुए वह कमजोर हो चली है। चलते-चलते थक कर रुकने की आदत सी हो गई है। सवाई रामसिंह ने वर्ष 1873 में टावर बनवाया था। इसमें एक घड़ी लगी है, जिसे कलकत्ता से मंगवाया गया था। इसकी कीमत 6000 रुपए थी। वक्त के साथ इसकी सांसें भी शिथिल हो चली है, वर्तमान समय में यह सही समय बता रही है। चल रही है।
चांदपोल में सेंट एंड्रयू चर्च :
1922 में स्थापित
चांदपोल गेट के बाहर ऐतिहासिक सेंट एंड्रयू चर्च में लगी घड़ी बदलते समय के साथ मंद पड़ गई है। घड़ी रह-रह कर बंद हो जाती है। वर्तमान में महीनों से घड़ी बंद पड़ी है, इसमें लगी घड़ी स्कॉटलैंड से मंगवाई गई थी, जिसे टावर में महाराजा माधोसिंह ने वर्ष 1922 में स्थापित किया था। उस समय जिसकी कीमत 2000 रुपए थी।
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