राजस्थान में 13 लाख लोग गंभीर मानसिक रोग के शिकार

राजस्थान में 13 लाख लोग गंभीर मानसिक रोग के शिकार

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस : 10 अक्टूबर
डब्ल्यूएचओ के अनुसार भारत में सबसे अधिक तनाव ग्रस्त लोग
निजी सेवा क्षेत्र में कार्यरत 50 प्रतिशत से अधिक लोग स्थाई तनाव से ग्रसित


जयपुर। विश्व मानसिक स्वास्थ्य फेडरेशन के अनुसार भारत में लगभग 5 करोड़ लोग अवसाद से ग्रसित हैं। भारत में एक लाख पर करीब 11 लोग, जबकि राजस्थान में एक लाख पर करीब 6 लोग आत्महत्या करते हैं। अध्ययन के अनुसार राजस्थान में गंभीर मानसिक रोग से करीब 13 लाख लोग ग्रसित हैं। एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो) की वर्ष 2015 की रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में वर्ष 2014 में प्रतिदिन 12 व्यक्तियों ने आत्महत्या की, जबकि पूरे देशभर में 4459 लोगों ने आत्महत्या की।

हर वर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का आयोजन किया जाता है। वर्ष 2017 के विश्व स्वास्थ्य मानसिक दिवस की थीम 'कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्यÓ है। इसी तरह इंडियन मेडिकल एशोसियन के सर्वे के अनुसार देश में चिकित्सा व्यवसाय से जुड़े 80 प्रतिशत से अधिक डॉक्टर तनाव से ग्रसित रहते हैं, वहीं निजी सेवा क्षेत्र में काम करने वाले 50 प्रतिशत से अधिक लोग स्थाई तनाव से ग्रसित रहते हैं।

5 में से एक व्यक्ति जूझ रहा मानसिक रोग से

आंकडे़ बताते हैं कि भारत में होने वाली कुल आत्महत्याओं में से 7.4 प्रतिशत आत्महत्या करने वाले व्यवसायिक लोग ही होते हैं। विश्व स्वास्थ्य मानसिक फेडरेशन के अनुसार आत्महत्या करने वालों में से प्रत्येक 5 व्यस्कों में से 1 व्यस्क व्यक्ति मानसिक समस्याओं से जूझ रहा है। गंभीर मानसिक अवसाद के रोगियों की संख्या कुल जनसंख्या की 2 प्रतिशत है, जबकि साधारण मानसिक तनाव से ग्रसित 20 से 30 प्रतिशत लोग रहते हैं। 

कार्यस्थल पर तनाव से घर भी असर

मानसिक स्वास्थ्य के लिए कार्य करने वाले संगठन आरोग्य सिद्धि फाउंडेशन के प्रतिनिधि भूपेश दीक्षित ने बताया कि वर्तमान भौतिकवाद के युग में कार्यस्थल के भीतर प्रतिस्पर्धा में वृद्धि, अनियमित व लंबे समय तक कार्य करना, लक्ष्य आधारित कार्य, नौकरी की असुरक्षा, उच्च अधिकारियों व सहयोगियों द्वारा शारीरिक मानसिक प्रताडऩा व शोषण के कारण कार्यस्थल पर अधिकतर नौकरी, पैसा से व्यक्ति तनाव ग्रस्त रहता है, जिसका असर उसके घर व परिवार पर भी पड़ता है।

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