आता था। जयपुर से 16 किमी दूर अजमेर की तरफ जाने वाले राजमार्ग की मुख्य सड़क पर स्थित भांकरोटा तब एक छोटा सा गांव था। चहल पहल लगभग नदारद, बिजली न होने से शाम होते ही आसपास अंधेरे से डरावना माहौल हो जाता था। 22 जनवरी 1961 को आई थीं एलिजाबेथ गांवों में विकास को गति देने और पानी, बिजली जैसी आवश्यक मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के प्रयोजनार्थ ग्राम्य उत्थान, समाज सेवा योजना अंतर्गत भांकरोटा का चयन आदर्श गांव के रूप में हुआ। 22 जनवरी, 1961 को बिजली और जलप्रदाय योजना का उद्घाटन ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय (Queen Elizabeth II) ने किया था, जो आसपास के गांवों में समाजसेवा का भी सपना लेकर भारत आई थीं। मेरी उम्र उस समय लगभग 10 वर्ष थी। मैं पास ही के गांव महापुरा में रहा करता था। मैं, मेरे पिताजी के साथ इस समारोह में शरीक होने गया था। उस समय पूरा भांकरोटा दुल्हन की तरह सजाया गया था। उत्सव में शामिल होने आसपास के गांवों से रंग-बिरंगे कपड़े पहने ग्रामीण महिलाओं, पुरुषों व बच्चों का हुजूम आ रहा था। मैं जिस छत पर खड़ा था, वहां बहुत से अंग्रेज भी थे। दो सौ साल पुराने कुएं में लगी थी बिजली उद्घाटन स्वरूप लगभग 200 वर्ष पुराने कुएं का जीर्णोद्धार एवं बिजलीकरण कर उसे चालू किया गया था, जो पास में बनाई गई टंकी में पानी इकट्ठा कर गांव में सप्लाई करता था। कुएं के ऊपर छतरी का निर्माण और पास ही कुछ सार्वजनिक नल भी लगाए गए थे। मुझे आइसक्रीम, कुछ बच्चों के खाने की चीजें खिलाई गईं, कुछ खिलौने दिलाए गए और झूला झुला कर हम पुनः गांव लौटने लगे, कुछ घोड़ा रेहड़ी में, कुछ बैलगाड़ियों में और अधिकतर पैदल।
आता था। जयपुर से 16 किमी दूर अजमेर की तरफ जाने वाले राजमार्ग की मुख्य सड़क पर स्थित भांकरोटा तब एक छोटा सा गांव था। चहल पहल लगभग नदारद, बिजली न होने से शाम होते ही आसपास अंधेरे से डरावना माहौल हो जाता था। 22 जनवरी 1961 को आई थीं एलिजाबेथ गांवों में विकास को गति देने और पानी, बिजली जैसी आवश्यक मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के प्रयोजनार्थ ग्राम्य उत्थान, समाज सेवा योजना अंतर्गत भांकरोटा का चयन आदर्श गांव के रूप में हुआ। 22 जनवरी, 1961 को बिजली और जलप्रदाय योजना का उद्घाटन ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय (Queen Elizabeth II) ने किया था, जो आसपास के गांवों में समाजसेवा का भी सपना लेकर भारत आई थीं। मेरी उम्र उस समय लगभग 10 वर्ष थी। मैं पास ही के गांव महापुरा में रहा करता था। मैं, मेरे पिताजी के साथ इस समारोह में शरीक होने गया था। उस समय पूरा भांकरोटा दुल्हन की तरह सजाया गया था। उत्सव में शामिल होने आसपास के गांवों से रंग-बिरंगे कपड़े पहने ग्रामीण महिलाओं, पुरुषों व बच्चों का हुजूम आ रहा था। मैं जिस छत पर खड़ा था, वहां बहुत से अंग्रेज भी थे। दो सौ साल पुराने कुएं में लगी थी बिजली उद्घाटन स्वरूप लगभग 200 वर्ष पुराने कुएं का जीर्णोद्धार एवं बिजलीकरण कर उसे चालू किया गया था, जो पास में बनाई गई टंकी में पानी इकट्ठा कर गांव में सप्लाई करता था। कुएं के ऊपर छतरी का निर्माण और पास ही कुछ सार्वजनिक नल भी लगाए गए थे। मुझे आइसक्रीम, कुछ बच्चों के खाने की चीजें खिलाई गईं, कुछ खिलौने दिलाए गए और झूला झुला कर हम पुनः गांव लौटने लगे, कुछ घोड़ा रेहड़ी में, कुछ बैलगाड़ियों में और अधिकतर पैदल।
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