एक दिन ऐसा भी था जब रवींद्र मंच की छत पर खेला गया नाटक


Jaipur. रवींद्र मंच (ravindra manch) से मेरा नाता चोली दामन जैसा रहा है। 15 अगस्त, 1965 को इसके उद्घाटन के बाद से यहां हर रोज ऑफिस के बाद जाना मेरा नित्यकर्म जैसा था। उद्घाटन समारोह में थिएटर यूनिट मुंबई द्वारा सत्यदेव दुबे के निर्देशन में यहां हेराल्ड पिंटर के नाटम केयर टेकर का मंचन किया गया था। 1963 में फिल्म अभिनेता ओम शिवपुरी एनएसडी से ट्रेनिंग कर यहां आए और रवींद्र मंच को ही अपनी कर्मस्थली बनाया। उन्होंने स्थानीय रंगकर्मियों अरुण माथुर, रजनी बाला, रणवीर सिंह, मोहन महर्षि, डीएन शैली और देवेंद्र मल्होत्रा के साथ नाटक एंटीगनी का मंचन किया। इस नाटक के मंचन की सूचना लोगों को कई दिन पहले पोस्ट कार्ड के जरिए दी गई थी। मोहन महर्षि ने छत पर किया नाटक का मंचन एक समय ऐसा भी आया जब मोहन महर्षि ने मोहन राकेश के नाटक आषाढ़ का एक दिन के कथानक को वास्तविक रूप देने के लिए रवींद्र मंच की छत पर इसका मंचन करने का साहस जुटाया। ये बात 1965 की है। उन्होंने छत पर खुले में अस्थाई मंच बनाया, छत की सीढ़ियों पर लाइट कंट्रोल बनाया गया। मुझे आज भी याद है मंच की छत के चारों ओर लगे बड़े-बड़े पेड़ नाटक में वर्णित ग्रामीण प्रदेश का प्रभाव उत्पन्न कर रहे थे। महर्षि इस नाटक में हिरण के जीवित बच्चे को भी मंच पर लाए। इस प्राकृतिक दृश्यावली से न केवल दर्शक प्रफुल्लित हुए वरन लेखक मोहन राकेश भी ने भी इसकी प्रशंसा की। मोहन राकेश महर्षि के बुलावे पर नाटक देखने दिल्ली से जयपुर आए थे। इस नाटक में मैंने भी उनके निर्देशन में अभिनय किया।                                               साभार : सरताज नारायण माथुर, वरिष्ठ रंगकर

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