रॉयल फैमिली की किसी फीमेल मेंबर की पहली पब्लिक फोटो

जयपुर। दो ऐसी फोटो जिनमें इतिहास के दो रोचक पहलू हैं।एक है जयपुर की रॉयल फैमिली की महिलाओं द्वारा रात को पोलो खेलने के लिए इस्तेमाल होने वाली नाइट पोलो बॉल की तस्वीर और दूसरा 1948 में ली गई वो पहली तस्वीर जिसमें इस फैमिली की महिलाओं को कैमरे से क्लिक किया गया।

रॉयल फैमिली की किसी फीमेल मेंबर की पहली पब्लिक फोटो 

रामगढ़ स्थित जमवाय माता मंदिर में बाईजी लाल प्रेम कुमारी के साथ कर्नल युवराज जयदीप सिंह बारिया का यह फोटो 27 मई 1948 को लिया गया सिल्वर जिलेटिन प्रिंट है जिसे कार्ड पर लगाया गया है। हालांकि इसमें प्रेम कुमारी घूंघट में हैं, रॉयल फैमिली की किसी भी फीमेल मेंबर का यह पहला पब्लिक फोटो है। जयपुर महाराजा की बेटी बाईजी लाल प्रेम कुमारी के विवाह के एलबम से लिए गए इस फोटो में पहली बार परिवार के निजी समारोह का चित्रण किया गया है, जिसमें नवदंपती को जमवाय माता (राजपरिवार की कुल देवी) मंदिर में दर्शाया गया है।

दिन में खेल नहीं पाती थी इसलिए रात में इस नाइट पोलो बॉल से खेलती थी रॉयल फीमेल्


यह तस्वीर है सिटी पैलेस के टेक्सटाइल म्यूजियम में डिसप्ले ब्रास से बनी वॉलीबाॅल के आकार की एक बॉल की जो दरअसल नाइट पोलो बॉल है। अंधेरे में गेंद की स्थिति जानने के लिए इसके केन्द्र में कांच की डिस्क के बीच एक मोमबत्ती जलाई जाती थी जो गेंद को प्रकाशित करती थी। यह मैकेनिज्म गाइरोस्कोप पर आधारित है जिसमें ग्रेविटी की वजह से मोमबत्ती हमेशा सीधी रहती है चाहे गेंद किसी भी दिशा में हो। यही वो मोशन ससेंर टेक्नोलॉजी है जो आज के दौर के गैजेट्स, स्मार्ट फोन, वर्चुअल रियल्टी हैडसटे में भी इस्तेमाल होती है। राजपरिवार की महिलाओं को भी इन खेलों में विशेष रुचि होती थी परंतु पर्दाप्रथा के कारण वे भी रात के समय ही इस प्रकार की गेंद से पोलो खेला करती थीं। माना जाता है कि 1735 में सवाई जयसिंह द्वितीय के प्रयासों से इसका आविष्कार हुआ था। ये भी माना जाता है कि 16वीं सदी में अकबर के दौर में इस गेंद का अाविष्कार हुआ था। अबुल फजल ने अपनीप्रसिद्ध किताब ‘आइने-अकबरी’ में भी इसके बारे में लिखा है।

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