जयपुर। दो ऐसी फोटो जिनमें
इतिहास के दो रोचक पहलू
हैं।एक है जयपुर की रॉयल
फैमिली की महिलाओं द्वारा
रात को पोलो खेलने के
लिए इस्तेमाल होने वाली
नाइट पोलो बॉल की तस्वीर
और दूसरा 1948 में ली गई
वो पहली तस्वीर जिसमें
इस फैमिली की महिलाओं
को कैमरे से क्लिक
किया गया।
यह तस्वीर है सिटी पैलेस के टेक्सटाइल म्यूजियम में डिसप्ले ब्रास
से बनी वॉलीबाॅल के आकार की एक बॉल की जो दरअसल नाइट
पोलो बॉल है। अंधेरे में गेंद की स्थिति जानने के लिए इसके केन्द्र
में कांच की डिस्क के बीच एक मोमबत्ती जलाई जाती थी जो गेंद को
प्रकाशित करती थी। यह मैकेनिज्म गाइरोस्कोप पर आधारित है जिसमें
ग्रेविटी की वजह से मोमबत्ती हमेशा सीधी रहती है चाहे गेंद किसी भी
दिशा में हो। यही वो मोशन ससेंर टेक्नोलॉजी है जो आज के दौर के
गैजेट्स, स्मार्ट फोन, वर्चुअल रियल्टी हैडसटे में भी इस्तेमाल होती है।
राजपरिवार की महिलाओं को भी इन खेलों में विशेष रुचि होती थी परंतु
पर्दाप्रथा के कारण वे भी रात के समय ही इस प्रकार की गेंद से पोलो
खेला करती थीं। माना जाता है कि 1735 में सवाई जयसिंह द्वितीय के
प्रयासों से इसका आविष्कार हुआ था। ये भी माना जाता है कि 16वीं सदी
में अकबर के दौर में इस गेंद का अाविष्कार हुआ था। अबुल फजल ने
अपनीप्रसिद्ध किताब ‘आइने-अकबरी’ में भी इसके बारे में लिखा है।
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