राजसी ठाठ-बाट के साथ निकली तीज की सवारी

त्रिपोलिया गेट से चांदी की पालकी में विराजमान हो निकली माता, तालकटोरा पहुंच संपन्न हुई सवारी, त्रिपोलिया बाजार पर एकत्र हुए देसी-विदेशी पर्यटक, कलाकारों ने कालबेलिया, घूमर, चरी लोक नृत्य किए प्रस्तुत 



जयपुर| राजसी ठाठ-बाट के साथ शनिवार को जब जयपुर में तीज की सवारी निकली तो राजे-रजवाड़ों का बीता जमाना फिर से साकार हो उठा। हाथी, ऊंट, घोड़े के साथ तीज की सवारी लिए शाही लवाजमा शहर में तीन घंटे तक घूमा। हर कोई माता के दर्शनों के लिए सवारी देखने पहुंचा।
शोभायात्रा के त्रिपोलिया दरवाजे तक आने से पहले लोक कलाकारों ने नृत्य कर समां बांधा। जैसे ही तीज की सवारी आने की भनक लगी तो लोगों ने तीज माता की जय-जयकार की। सुर्ख लाल परिधान में कीमती आभूषणों से सजी तीज माता चांदी की पालकी में विराजमान थी। महिलाओं ने तीज माता के दर्शन कर पुष्प बरसाए और सुख-सौभाग्य का आशीर्वाद मांगा। इससे पहले जनानी ड्योढ़ी में तीज माता की पूजा-अर्चना की। बूढ़ी तीज की सवारी रविवार को निकाली जाएगी।

पचरंगा ध्वज से अगवानी



शोभायात्रा में सबसे आगे सजे-धजे गजराज पर जयपुर रियासत का पंचरंगी ध्वज थामे ध्वजवाहक बैठा था। इसके बाद इठलाते चल रहे ऊंट और हाथी का कारवां रहा। महानगर के प्रसिद्ध बैंडबाजों की मधुर स्वर लहरियों पर लोक कलाकार नृत्य की छठा बिखेर रहे थे। शोभायात्रा धीरे-धीरे छोटी चौपड़ की ओर बढ़ती गई। शोभायात्रा त्रिपोलिया गेट, त्रिपोलिया बाजार, छोटी चौपड़, गणगौरी बाजार होती हुई चौगान स्टेडियम होती हुई तालकटोरा पहुंची। यहां तीज माता को अघ्र्य देकर घेवर का भोग लगाया गया।

करतबबाजों ने दिखाए करतब


करतबबाजों ने एक से बढ़कर एक करतब दिखाकर लोगों का दिल जीत लिया। त्रिपोलिया गेट के बाहर कालबेलिया, घूमर, चरी सहित कई लोक नृत्य प्रस्तुत किए गए। विदेशी पर्यटकों ने इन नजारों को कैमरों में कैद किया। बंदर का स्वरूप बने कलाकार आकर्षण का केन्द्र रहे। व्यायामशाला के पहलवानों ने शारीरिक करतब दिखाए। 

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